ग़ज़ल
ये कैसे लोग बस गये, हिन्दोस्तान में
टिकती नहीं कृपाण अब कोई मयान में
भट्टी ग़रीबी देश की छूती है आसमान
बिकने लगे तिरंगे भी,अब तो ,दुकान में
शैतान लूटता जहां खुद को खुदा बता
आई कहाँ से शक्तियाँ यूँ इंसान में
हैं फंस रहे नादान, हैवानों के जाल में
ऐसा वो क्या कह देते हैं बच्चों के कान में
जिसका ज़हन,बदन भरा हुआ है ज़हर से
रखता है मीठा पान , वो अपनी जुबान में
3 Comments
very nice...
ReplyDeleteShayar bhati 😍
ReplyDeleteShayar bhati 😍
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