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“मंजिल चाहे कितनी भी ऊंची क्यों ना हो, रास्ता हमेशा पैरों के नीचे ही होता है

चोर की सीख


चोर ने अन्तिम समय अपने पुत्र को समझाया कि उस आदमी से सदा बचना जिसका नाम महावीर है। पुत्र भी चोर और अपने बाप से कम नहीं था, कुछ ज्यादा ही था फिर भी उसने पूछ लिया कि महावीर से क्या डर है। बाप
बोला कि मैं तुमसे जो कह रहा हूँ उसे मानो नहीं तो अपना धन्धा रूक जाएगा। सारी मेहनत बेकार हो जाएगी। बाप ने कहा कि उस आदमी को अगर दूर से भी देखो तो रास्ता बदल देना और अगर वह पास ही बोल रहा हो तो कानों में उंगली डाल लेना। उसकी बातें बहुत खतरनाक हैं। यह कहकर बाप मर गया। बेटे ने बाप की हिदायतों का पूरा पालन किया और अपने धन्धे में खूब तरक्की की। एक दिन भूल हो गयी क्योंकि रास्ते के उस पार वन में महावीर दिखाई दे गये। वह जल्दी से भागा लेकिन अचानक ही महावीर ने बोलना शुरू कर दिया। उस चोर ने कानों में उंगली भी दी लेकिन आधा वाक्य कान में पड़ ही गया। महावीर उस समय मृत्यु के बाद की स्थिति के बारे में बता रहे थे। उनके उपदेश का आधा वाक्य चोर के भी कान में पड़ गया। कुछ दिनों बाद अचानक ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया| सिपाहियों ने उससे सच्चाई उगलवाने के लिए नये-नये हथकंडों का इस्तेमाल किया परन्तु उससे कुछ भी उगलवा न पाये। सबको मालूम था कि अपराधी वही है फिर भी कोई प्रमाण न जुटा पा रहे थे। अचानक ही उन्होंने एक तरकीब सोची। उसे गहरी बेहोशी की दवाइयों दी गयीं। कई दिनों तक बेहोश रखा गया। उसे ऐसी जगह ले जाया गया जो कि उसने पहले कभी नहीं देखी फिर कुछ युवतियों को उसके पास भेजा। उन्हें पूरा भरोसा था कि इतने दिनों की बेहोशी के बाद वह अवश्य थी।
अपनी मृत्यु स्वीकार कर लेगा। न युवतियों ने उससे कहा कि वे यमराज की सेविकाएं हैं तथा उन्हें उस चोर को उसके कर्मों के अनुसार स्वर्ग या नर्क में ले जाने का आदेश मिला है। उन्होंने कहा कि तुम सच-सच अपने कमों के बारे में बता दो। अगर तुमने सच बोला तो हम तुम्हें स्वर्ग/ले जाएंगी और अगर तुमने सच नहीं बोला तो नर्क में जाना होगा। उसे यकीन आने लगा था इसलिए उसने सोचा कि अपने पाप कर्मों को स्वीकार करके स्वर्ग में
चलना चाहिए। बचाव का यही उसे एक मात्र मार्ग दिखाई दे रहा था परन्तु उसे यह भी ध्यान आ रहा था कि कहीं
उससे धोखा न किया जा रहा हो । महावीर की कही हुई बात अचानक ही उसके दिमाग में कोध गयी। उन्होंने कहा था कि यमलोक के सेवकों के पैर उल्टे होते हैं। उसने ध्यान से उन युवतियों के पैरों की ओर देखा। उनके पैर ठीक वैसे ही थे जैसे सब लोगों के होते हैं। उसे यकीन आ गया कि বर उससे धोखा किया जा रहा है। वह बोल उठा, "बात तो आपकी ठीक है, मौका भी बहुत बढ़िया है स्वर्ग में जाने का लेकिन कोई पाप तो किया नहीं है इसलिए क्या कहूँ?" वे युवतियाँ हैरान रह गयी | सब जानते थे कि चोर वही है। बहुत मुश्किल से हाथ आया था इसलिए अधिकारी चूकना नहीं चाहते लेकिन कोई प्रमाण नहीं था। वह अगर स्वीकार कर लेता तो बात बन जाती लेकिन वह चालाक निकला और विवश होकर अधिकारियों को उसे छोड़ना पड़ा। वह सोचने लगा कि अगर उसने सच्ची बात बता दी होती तो न जाने उसे मौत की सजा मिलती या आजन्म कैद होती। इनसे कम सजा तो मिलनी नहीं थी। महावीर के आधे वाक्य ने जब इतनी बड़ी सजा से छुटकारा दिला दिया तो उनका पूरा प्रवचन तो सब बन्धनों से ही छुटकारा दिला देगा। वह फौरन भागा और महावीर के चरणों में लोट गया। पूरी बात बतायी और दीक्षा देने का आग्रह किया। फिर उनके श्रीचरणों में ही उसका पुनर्जन्म हुआ।
महापुरुषों की हर बात महान समाधान छिपाये होती है
लेकिन समाधान उस बात पर अमल करने से ही होता है।

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