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“मंजिल चाहे कितनी भी ऊंची क्यों ना हो, रास्ता हमेशा पैरों के नीचे ही होता है

मै तुम्हारे लिये डूब कर मरता.. मगर मुझे जुकाम था




लड़कियों से प्यार न करना क्योंकि,

दिखती हैं हीर की तरह,

लगती हैं खीर की तरह,
दिल में चुभती हैं तीर की तरह,
और छोड़ जाती हैं फकीर की तरह।

इश्क करते हैं लोग बड़े शोर के साथ,
हमने भी किया था बड़े जोर के साथ,
मगर अब करेंगे जरा गौर के साथ,
क्यूंकि कल देखा था उसे किसी और के साथ।


तेरी जुल्फों में खो जाना चाहता हूँ,…
पर तू तेल इतना लगाती हो के फिशल जाता हूँ.

तेरे प्यार की रौशनी ऐसी है की हर तरफ उजाला नज़र आता है,
सोचती हूँ घर के बिजली कटवा दू कमबख्त बिल बहोत आता है.

उनकी गली से गुज़रे…अजीब इत्तेफ़ाक था…
उन्होंने फूल फेंका…गमला भी साथ था.”


मै तुम्हारे लिये सब कुछ करता मगर मुझे काम था…
मै तुम्हारे लिये डूब कर मरता.. मगर मुझे जुकाम था.



“वो आज भी हमें देखकर मुस्कुराते हैं वो आज भी हमें देख कर मुस्कुराते हैं
ये तो उनके बच्चे ही कमीने हैं जो हमें मामा-मामा कहकर बुलाते हैं

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