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“मंजिल चाहे कितनी भी ऊंची क्यों ना हो, रास्ता हमेशा पैरों के नीचे ही होता है

दिमाग तेज और आवाज मधुर होती है इस आयुर्वेदिक औषधि से



ब्राह्मी घृत

आजकल की आपाधापी और अनेक प्रपंचों में भरी ज़िन्दगी जीने वालों का कमज़ोर हो जाता है, उनकी स्मरण शक्ति कमज़ोर हो जाती है, वे जल्दी ही थक जाते हैं और विशेष कर दिमाग़ी थकावट का अनुभव करते हैं। ऐसे स्त्री-पुरुषों, विद्यार्थियों और दिमाग़ी काम करने वालों के लिए एक उत्तम योग है ब्राह्मी घृत। इसका परिचय प्रस्तुत है।

घटक द्रव्य- ब्राह्मी का रस एक लिटर, गो घृत 500 ग्राम। बच, कूठ और शंखपुष्पी तीनों 30-30 ग्राम ।

निर्माण विधि- ब्राह्मी को जड़ व पत्तों सहित पानी से धोकर और कूट कर रसनिकाल लें। बच, कूठ और शंखपुष्पी को पानी के साथ पीस कर लुग्दी बना लें और ब्राह्मी के रस में डाल कर घी भी डाल दें। इसे मन्दी आंच पर रख कर तब तक पकाएं जब तक सिर्फ़ घी ही न बचे। जब सिर्फ़ घी बचे तब उतार लें और ठण्डा करके चौड़े मुंह की बर्नी में भर लें। मात्रा और सेवन विधि- इसे सुबह शाम 5 से 10 ग्राम (एक या दो चम्मच) मात्रा में थोड़ी सी मिश्री मिला कर चाट लें और ऊपर से मीठा दूध पिएं।

लाभ- यह घृत दिमाग़ी काम करने वालों छात्र-छात्राओं और कमज़ोर स्मरण शक्ति वालों के लिए बहुत गुणकारी है। इसके सेवन से वाणी ठीक होती है और आवाज़ मधुर होती है। यह घृत छोटे बच्चों के लिए भी आधी मात्रा में सेवन कराने योग्य है। कमज़ोर पाचन शक्ति, निर्बल यकृत और कठोर मलावरोध से ग्रस्त होने पर इस घृत का सेवन नहीं करना चाहिए। स्मरणशक्ति और दिमाग़ी ताक़त के लिए यह घृत बहुत उपयोगी है। 

यह घृत बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।

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